Social Science class 10 Monthly Test Examination 2025 (May)
मासिक परीक्षा 2025 (मई) - कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान (हल)
वैकल्पिक प्रश्न (उत्तर)
जालियाँवाला बाग हत्याकांड किस तिथि को हुआ? (A) 13 अप्रैल, 1919 ई०
भारत में खिलाफत आंदोलन कब और किस देश के शासक के समर्थन में शुरू हुआ ? (A) 1920, तुर्की
पूर्ण स्वराज्य की माँग का प्रस्ताव काँग्रेस के किस वार्षिक अधिवेशन में पारित हुआ? (A) 1929, लाहौर
लखनऊ समझौता किस वर्ष हुआ? (A) 1916
असहयोग आन्दोलन का प्रस्ताव काँग्रेस के किस अधिवेशन में पारित हुआ? (A) सितम्बर 1920, कलकत्ता
जालियाँवाला बाग हत्याकांड के उपरान्त किसका गठन किया गया था ? (D) हंटर समिति
हिंद-चीन में बसने वाले फ्रांसीसी कहे जाते थे ? (C) कोलोन
अनामी दल के संस्थापक कौन थे? (A) जोन्गुएन आई (जोन्गुयेन आई)
क्रांतिकारी संगठन ‘दुई-तान-होई’ के नेता कौन थे? Ans कुआंग दे
हो ची मिन्ह का शाब्दिक अर्थ क्या है ? (C) पथप्रदर्शक
चेका क्या था ? (B) पुलिस दस्ता
ब्रेस्टलिटोवस्क की संधि किन देशों के बीच हुई थी ? (D) रूस और जर्मनी
समाजवादी दर्शन किस पर बल देता है ? (D) आर्थिक समानता पर
पंचायत समिति का प्रधान कौन होता है ? (B) प्रमुख
भारतीय संविधान द्वारा मान्य राष्ट्रीय भाषाओं की संख्या है। (D) 22
समवर्ती सूची में रखा जाता है ? (B) केन्द्र एवं राज्य दोनों
भारतीय शासन प्रणाली (A) संघात्मक
मुंबई हाई क्यों प्रसिद्ध है ? (C) खनिज तेल हेतु
क्रेडिट कार्ड प्रसिद्ध है (C) प्लास्टिक मुद्रा
प्रारंभिक अवस्था में मनुष्य अपनी आवश्यकता की पूर्ति करते थे (B) वस्तुओं के आदान-प्रदान से
मुद्रा वह धूरी है जिसके चारो ओर संपूर्ण आर्थिक विज्ञान चक्कर काटता ] है” किसने कहा है ? (B) प्रो० मार्शल
मद्रा के प्रमुख कार्य हैं (D) ये सभी
बिहार में प्रति व्यक्ति गरीबी में गुजर रही है- (C) 51.4%
राष्ट्रीय गणना का आयाम नहीं है- (D) मौद्रिक उत्पादन
Y= C+ I फार्मूले को बताया है- (A) प्रो० केन्स
इनमें से कौन प्राकृतिक आपदा नहीं है ? (D) आतंकवाद
निम्नलिखित में से किस राज्य में वन का सबसे अधिक विस्तार है ? (C) मध्यप्रदेश
गेहूँ के उत्पादन में कौन राज्य आगे है ? (B) उत्तरप्रदेश
भारत की कितनी आबादी कृषि कार्यों से जुड़ी है ? (B) 2/3
निम्नलिखित में कौन रबी की फसल नहीं है ? (C) मकई
भारत में तांबा का कुल भंडार कितना है ? (B) 125 करोड़ टन
बिजली के बत्व के फिलार्मेट बनाने में किसका उपयोग होता है ? (A) टंगस्टन
वनस्थिति रिपोर्ट के अनुसार भारत में वन का विस्तार है- (B) 20.55% भौगोलिक क्षेत्र में
भारत के किस भूगर्भिक समूह में कोयला पाया जाता है (A) गोंडवाना समूह
ऊर्जा का गैर-पारम्परिक स्रोत है ? (D) प्राकृतिक गैस
ज्वारीय एवं तरंग ऊर्जा उत्पादन हेतु ( मात्रा में अधिक) अनुकूल परिस्थितियाँ कहाँ पाई जाती हैं ? (B) खम्भात की खाड़ी में
विश्व पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है ? (A) 5 जून
मैगनीज का निर्यात इनमें किस बंदरगाह से नहीं किया जाता है ? (A) मुंबई
एफ ० ए०ओ० की वानिकी रिपोर्ट के अनुसार 1948 ई० में विश्व में कितने हेक्टेयर भूमि वन का विस्तार था ? (B) 4 अरब हेक्टेयर
भारत में किस स्थान पर पहला परमाणु ऊर्जा स्टेशन स्थापित किया गया था ? (D) तारापुर
लघु उत्तरीय प्रश्न (उत्तर)
जलियांवाला बाग हत्याकांड क्या था? या रॉलेट एक्ट से आप क्या समझते हैं? इसका विरोध क्यों हुआ ?जलियांवाला बाग हत्याकांड: 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में शांतिपूर्ण तरीके से सभा कर रहे निहत्थे लोगों पर जनरल डायर ने अंधाधुंध गोलियां चलवा दीं, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए और हजारों घायल हुए। यह घटना ब्रिटिश सरकार की क्रूरता का प्रतीक बनी और इसने पूरे देश को झकझोर दिया, जिससे स्वतंत्रता आंदोलन को नई गति मिली।रॉलेट एक्ट: रॉलेट एक्ट (1919) ब्रिटिश सरकार द्वारा पारित एक कानून था, जिसका उद्देश्य राजनीतिक गतिविधियों को कुचलना था। इस अधिनियम ने सरकार को बिना किसी मुकदमे के दो साल तक किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार और हिरासत में रखने का अधिकार दे दिया। इसे भारतीयों ने मौलिक अधिकारों का हनन माना और इसका व्यापक विरोध हुआ, क्योंकि यह विरोध करने और अपनी राय व्यक्त करने के मूल नागरिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता था।
दांडी यात्रा के उद्देश्यों को लिखें।महात्मा गांधी के नेतृत्व में 1930 में हुई दांडी यात्रा सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत का प्रतीक थी। इसके मुख्य उद्देश्य थे:
ब्रिटिश नमक एकाधिकार और नमक पर लगाए गए अत्यधिक कर का विरोध करना, ताकि नमक सभी के लिए सुलभ हो सके।
सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत करना, जिसमें भारतीयों से अन्यायपूर्ण ब्रिटिश कानूनों का शांतिपूर्वक उल्लंघन करने का आह्वान किया गया।
जनता को एकजुट करना, अहिंसक प्रतिरोध और उपनिवेशवादी शासन के खिलाफ एकता की शक्ति का प्रदर्शन करना।
भारत के स्वतंत्रता संग्राम की ओर अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करना।
खिलाफत आंदोलन क्या था गांधीजी के इस आंदोलन से क्या संबंध थे?खिलाफत आंदोलन (1919-1924) भारतीय मुसलमानों द्वारा शुरू किया गया एक अखिल-इस्लामी, राजनीतिक विरोध अभियान था। इसका उद्देश्य प्रथम विश्व युद्ध के बाद ब्रिटिशों द्वारा तुर्क साम्राज्य के खलीफा के साथ किए गए कठोर व्यवहार का विरोध करना और खलीफा के आध्यात्मिक अधिकार को बहाल करना था। गांधीजी ने इसे ब्रिटिश शासन के खिलाफ हिंदू और मुसलमानों को एकजुट करने का एक अवसर देखा। उन्होंने इस आंदोलन का समर्थन किया, यह मानते हुए कि यह हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देगा और असहयोग आंदोलन को मजबूत करेगा, जिससे उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम के लिए व्यापक समर्थन प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
खरीफ, रवी और जायद फसल क्या है?
खरीफ फसलें: ये मानसून की शुरुआत (जून-जुलाई) में बोई जाती हैं और मानसून के बाद (सितंबर-अक्टूबर) काटी जाती हैं। उदाहरण: चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा।
रबी फसलें: ये सर्दियों (अक्टूबर-दिसंबर) में बोई जाती हैं और वसंत (अप्रैल-मई) में काटी जाती हैं। उदाहरण: गेहूँ, चना, सरसों, जौ।
जायद फसलें: ये रबी और खरीफ के मौसमों के बीच (मार्च-जून) कम अवधि के लिए उगाई जाती हैं। उदाहरण: तरबूज, खरबूजा, खीरा, सब्जियां।
भारत में नविकरणीय ऊर्जा के संभावनाओं को लिखें।भारत में अपनी विविध भौगोलिक स्थिति और प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों के कारण नवीकरणीय ऊर्जा की अपार संभावनाएं हैं।
सौर ऊर्जा: पूरे वर्ष उच्च सौर विकिरण के कारण सौर ऊर्जा अत्यधिक व्यवहार्य है।
पवन ऊर्जा: लंबी तटरेखाएं और अनुकूल पवन पैटर्न महत्वपूर्ण पवन ऊर्जा क्षमता प्रदान करते हैं।
जलविद्युत: कई नदियाँ जलविद्युत परियोजनाओं के अवसर प्रदान करती हैं।
बायोमास ऊर्जा: प्रचुर कृषि अपशिष्ट का उपयोग बायोमास-आधारित बिजली उत्पादन के लिए किया जा सकता है।
भू-तापीय और ज्वारीय ऊर्जा: विशिष्ट क्षेत्रों में उभरती हुई क्षमता। ये स्रोत जीवाश्म ईंधन के स्थायी और स्वच्छ विकल्प प्रदान करते हैं, जो ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन शमन में योगदान करते हैं।
लौह उद्योग को सभी उद्योगों की जननी क्यों कहते है?लौह और इस्पात उद्योग को सभी उद्योगों की जननी माना जाता है क्योंकि इसके उत्पाद लगभग हर दूसरे उद्योग के लिए कच्चे माल के रूप में काम करते हैं। कृषि और विनिर्माण में उपयोग होने वाली मशीनरी और औजारों से लेकर बुनियादी ढांचे (इमारतों, पुलों, रेलवे) के लिए निर्माण सामग्री और वाहनों और उपकरणों के घटकों तक, इस्पात मौलिक है। एक मजबूत लौह और इस्पात उद्योग के बिना, अन्य क्षेत्रों का विकास और कामकाज गंभीर रूप से बाधित होगा, जिससे यह आधुनिक औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं की रीढ़ बन जाता है।
साख या क्रेडिट से क्या समझते हैं?साख (क्रेडिट) एक वित्तीय व्यवस्था को संदर्भित करता है जहाँ एक पक्ष (ऋणदाता) दूसरे पक्ष (ऋण लेने वाले) को संसाधन, जैसे धन, वस्तुएँ या सेवाएँ प्रदान करता है, जिसे भविष्य की तारीख में, आमतौर पर ब्याज के साथ चुकाने का वादा किया जाता है। यह व्यक्तियों और व्यवसायों को तुरंत धन न होने पर भी खरीदारी या निवेश करने की अनुमति देता है। साख खपत, उत्पादन और पूंजी निर्माण को सुगम बनाकर आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
मुद्रा के आकस्मिक कार्यों का वर्णन करें?मुद्रा के आकस्मिक कार्य वे कार्य हैं जो इसके प्राथमिक और द्वितीयक कार्यों से उत्पन्न होते हैं। इनमें शामिल हैं:
साख प्रणाली का आधार: मुद्रा आस्थगित भुगतानों के मानक के रूप में कार्य करके साख के कार्य को सुगम बनाती है।
राष्ट्रीय आय का वितरण: मुद्रा उत्पादन के कारकों (लगान, मजदूरी, ब्याज, लाभ) के बीच राष्ट्रीय आय के वितरण में मदद करती है।
तरलता: मुद्रा धन को तरलता प्रदान करती है, जिसका अर्थ है कि संपत्ति को आसानी से मुद्रा में परिवर्तित किया जा सकता है।
शोधनक्षमता की गारंटी: मुद्रा व्यक्तियों और व्यवसायों के लिए शोधनक्षमता की गारंटी के रूप में कार्य करती है, जिससे वे अपनी देनदारियों को पूरा कर सकते हैं।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के विषय में लिखें?भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19 सभी नागरिकों को छह मौलिक स्वतंत्रताएँ प्रदान करता है:
वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता।
शांतिपूर्वक और बिना हथियारों के इकट्ठा होने की स्वतंत्रता।
संगठन या संघ या सहकारी समितियाँ बनाने की स्वतंत्रता।
भारत के पूरे क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से घूमने की स्वतंत्रता।
भारत के किसी भी हिस्से में निवास करने और बसने की स्वतंत्रता।
कोई भी पेशा, या कोई भी व्यवसाय, व्यापार या कारोबार करने की स्वतंत्रता। ये स्वतंत्रताएँ पूर्ण नहीं हैं और भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता या नैतिकता आदि के हित में राज्य द्वारा लगाए गए उचित प्रतिबंधों के अधीन हैं।
सांप्रदायिकता किसे कहते हैं?सांप्रदायिकता एक विचारधारा है जो इस विश्वास को बढ़ावा देती है कि एक विशेष धार्मिक समुदाय एक अलग सामाजिक और राजनीतिक इकाई है, जिसके हित अन्य धार्मिक समुदायों के हितों से भिन्न और अक्सर उनके विपरीत होते हैं। यह अक्सर सामाजिक असामंजस्य, पूर्वाग्रह, भेदभाव और कभी-कभी विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच हिंसा की ओर ले जाता है। राजनीति में, यह केवल अपने धार्मिक समूह के लिए शक्ति और संसाधनों की तलाश के रूप में प्रकट हो सकता है, जिससे राष्ट्रीय एकता और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को नुकसान पहुँचता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (उत्तर)
भारत में तांबा के उत्पादन एवं वितरण का वर्णन करें।तांबा एक महत्वपूर्ण अलौह धातु है जिसका उपयोग विद्युत इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, रसायन और अन्य उद्योगों में इसकी उत्कृष्ट चालकता और लचीलेपन के कारण व्यापक रूप से किया जाता है।भारत में उत्पादन:
भारत में तांबे के भंडार सीमित हैं, और यह तांबे का शुद्ध आयातक है।
प्रमुख उत्पादक राज्य:
मध्य प्रदेश: बालाघाट जिले में मलांजखंड तांबा बेल्ट सबसे बड़ा उत्पादक है, जो भारत के तांबे उत्पादन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा योगदान देता है।
राजस्थान: झुंझुनू जिले में खेतड़ी-सिंघाना बेल्ट एक और महत्वपूर्ण उत्पादक है। अन्य क्षेत्रों में अलवर और भीलवाड़ा शामिल हैं।
झारखंड: सिंहभूम जिला, विशेष रूप से मुसाबनी और रखा खानें, ऐतिहासिक रूप से एक महत्वपूर्ण तांबा उत्पादक रहा है, हालांकि इसका योगदान कम हो गया है।
कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात और सिक्किम में भी छोटे तांबा भंडार हैं।
खनन कार्य: हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (एचसीएल), एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम, भारत में एकमात्र लंबवत एकीकृत तांबा उत्पादक है, जो तांबे के खनन, प्रसाधन, प्रगालन, शोधन और ढलाई में शामिल है। निजी खिलाड़ी भी डाउनस्ट्रीम प्रसंस्करण में शामिल हैं।
भारत में वितरण (प्रमुख खानें और जमा):
मलांजखंड (मध्य प्रदेश): बालाघाट जिले में स्थित, यह भारत की सबसे बड़ी ओपनकास्ट तांबा खदान है।
खेतड़ी तांबा बेल्ट (राजस्थान): झुंझुनू और सीकर जिलों में फैला हुआ है, जिसमें खेतड़ी, कोलीहन, चांदमारी और दरीबा जैसी खानें शामिल हैं।
सिंहभूम तांबा बेल्ट (झारखंड): इसमें मोसाबनी, रखा, सुरदा और केंदडीह जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
अग्नि-गुंडाला (आंध्र प्रदेश): अपने सीसा-तांबा जमा के लिए जाना जाता है।
चित्रदुर्ग (कर्नाटक): यहाँ छोटे भंडार पाए जाते हैं।
इन भंडारों के बावजूद, भारत का घरेलू उत्पादन अपनी बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है, जिससे महत्वपूर्ण आयात होता है। नए भंडारों की खोज और खनन एवं प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों में सुधार के प्रयास जारी हैं।
असहयोग आंदोलन के कारण एवं परिणाम का वर्णन करें।असहयोग आंदोलन (1920-1922) महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण चरण था।आंदोलन के कारण:
जलियांवाला बाग हत्याकांड (1919): शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर क्रूर गोलीबारी ने भारतीयों को गहरा सदमा पहुंचाया और ब्रिटिश शासन की दमनकारी प्रकृति को उजागर किया।
रॉलेट एक्ट (1919): इस अधिनियम को, जो बिना मुकदमे के हिरासत की अनुमति देता था, नागरिक स्वतंत्रता का हनन माना गया और इसकी व्यापक निंदा हुई।
खिलाफत मुद्दा: प्रथम विश्व युद्ध के बाद ब्रिटिशों द्वारा ओटोमन खलीफा के साथ किए गए कठोर व्यवहार से भारतीय मुसलमान नाराज थे। गांधीजी ने इस उद्देश्य का समर्थन किया, जिससे हिंदू-मुस्लिम एकता मजबूत हुई।
आर्थिक कठिनाई: प्रथम विश्व युद्ध के बाद, भारत को उच्च मुद्रास्फीति सहित गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा, जिससे जनता में व्यापक असंतोष फैल गया।
मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों (1919) से असंतोष: सुधारों को अपर्याप्त माना गया और वे स्वशासन के लिए भारतीय आकांक्षाओं को पूरा करने में विफल रहे।
स्वराज की मांग: गांधीजी का मानना था कि एक वर्ष के भीतर स्वराज (स्वशासन) प्राप्त करने के लिए असहयोग सबसे प्रभावी साधन था।
आंदोलन के परिणाम:
जन लामबंदी: आंदोलन ने राष्ट्रीय आंदोलन को अभिजात वर्ग-संचालित संघर्ष से एक जन आंदोलन में बदल दिया, जिसमें लाखों आम लोग शामिल हुए।
हिंदू-मुस्लिम एकता: थोड़े समय के लिए, खिलाफत और असहयोग आंदोलनों ने ब्रिटिशों के खिलाफ अभूतपूर्व हिंदू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा दिया।
राष्ट्रवादी भावनाओं को बढ़ावा: इसने भारतीयों में साहस और आत्मनिर्भरता की एक नई भावना पैदा की, जिससे ब्रिटिश सत्ता का डर कम हुआ।
आर्थिक प्रभाव: विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार से भारतीय वस्त्रों और उद्योगों की मांग में वृद्धि हुई, हालांकि यह स्थायी नहीं था।
शैक्षिक प्रभाव: राष्ट्रीय स्कूलों और कॉलेजों की स्थापना, स्वदेशी शिक्षा को बढ़ावा देना।
चौरी चौरा घटना (1922): चौरी चौरा में एक हिंसक घटना के बाद गांधीजी द्वारा आंदोलन को अचानक वापस ले लिया गया, जहां प्रदर्शनकारियों ने एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी, जिसमें पुलिसकर्मी मारे गए। गांधीजी का मानना था कि आंदोलन हिंसक हो गया था और पूर्ण अहिंसक प्रतिरोध के लिए तैयार नहीं था।
नए नेताओं का उदय: आंदोलन ने कई क्षेत्रीय नेताओं को सामने लाया।
कांग्रेस रणनीति में बदलाव: इसने स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए अहिंसक सविनय अवज्ञा को एक प्राथमिक उपकरण के रूप में अपनाने को चिह्नित किया। हालांकि इसने तुरंत स्वराज हासिल नहीं किया, असहयोग आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की नींव को महत्वपूर्ण रूप से मजबूत किया।
मुद्रा के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन करें।मुद्रा अपने अंतर्निहित मूल्य और उपयोग के आधार पर समय के साथ विभिन्न रूप ले चुकी है। मुद्रा के मुख्य स्वरूपों में शामिल हैं:
वस्तु मुद्रा (Commodity Money): यह वह मुद्रा है जिसका मूल्य उस वस्तु से आता है जिससे यह बनी होती है। इसका आंतरिक मूल्य होता है, जिसका अर्थ है कि मुद्रा के रूप में इसके उपयोग से परे भी इसका मूल्य होता है।
उदाहरण: सोने और चांदी के सिक्के, पशुधन, नमक, कौड़ी। प्राचीन काल में इनका उपयोग लेनदेन के लिए किया जाता था। मुद्रा का मूल्य सीधे वस्तु के मूल्य से जुड़ा होता था।
फिएट मुद्रा (Fiat Money): यह वह मुद्रा है जिसका कोई आंतरिक मूल्य नहीं होता और यह किसी भौतिक वस्तु (जैसे सोना या चांदी) द्वारा समर्थित नहीं होती है। इसका मूल्य सरकारी आदेश (फिएट) से प्राप्त होता है।
उदाहरण: आधुनिक कागजी मुद्रा (बैंकनोट) और सिक्के। लोग इसे विनिमय के माध्यम के रूप में स्वीकार करते हैं क्योंकि सरकार इसे कानूनी निविदा घोषित करती है और लोगों को सरकार द्वारा इसके मूल्य के प्रबंधन की क्षमता पर विश्वास होता है।
विश्वासी मुद्रा (Fiduciary Money): यह वह मुद्रा है जिसका मूल्य भुगतानकर्ता और भुगतानकर्ता के बीच विश्वास पर निर्भर करता है। यह कानूनी निविदा नहीं है लेकिन इस विश्वास के आधार पर स्वीकार की जाती है कि जारीकर्ता भुगतान का सम्मान करेगा।
उदाहरण: चेक, बैंक ड्राफ्ट। एक चेक भुगतान का वादा होता है, और इसकी स्वीकृति इस विश्वास पर निर्भर करती है कि जारीकर्ता बैंक इसका सम्मान करेगा और खाते में पर्याप्त धनराशि है।
वाणिज्यिक बैंक मुद्रा (मांग जमा/बैंक मुद्रा): यह व्यक्तियों और फर्मों द्वारा वाणिज्यिक बैंकों में अपने चालू या बचत खातों में रखी गई धनराशि को संदर्भित करता है। यह चेक, डेबिट कार्ड या इलेक्ट्रॉनिक हस्तांतरण द्वारा हस्तांतरणीय है।
उदाहरण: चेकिंग खातों में शेष राशि जिसे लेनदेन के लिए आसानी से एक्सेस किया जा सकता है। यह रूप आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रा आपूर्ति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
डिजिटल/इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा: यह वह मुद्रा है जो पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक रूप में मौजूद है और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम के माध्यम से लेनदेन के लिए उपयोग की जाती है। यह भौतिक नकदी नहीं है।
उदाहरण: डेबिट/क्रेडिट कार्ड, मोबाइल वॉलेट, ऑनलाइन बैंकिंग में संग्रहीत धनराशि, क्रिप्टोकरेंसी (हालांकि 'मुद्रा' के रूप में उनकी स्थिति नियामक ढांचे के आधार पर विवादास्पद हो सकती है)।
क्रिप्टोकरेंसी: एक डिजिटल या आभासी मुद्रा जो सुरक्षा के लिए क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करती है और एक विकेन्द्रीकृत नेटवर्क (ब्लॉकचेन) पर काम करती है। फिएट मुद्रा के विपरीत, इसे आमतौर पर किसी केंद्रीय प्राधिकरण द्वारा जारी नहीं किया जाता है।
उदाहरण: बिटकॉइन, इथेरियम। उनका मूल्य बाजार की मांग और आपूर्ति से निर्धारित होता है, और स्वीकृति अलग-अलग होती है।
वस्तु मुद्रा से फिएट और डिजिटल रूपों में विकास आधुनिक वित्तीय प्रणालियों की बढ़ती जटिलता और दक्षता को दर्शाता है।
भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करें?भारतीय संविधान, 26 जनवरी, 1950 को अपनाया गया, भारत का सर्वोच्च कानून है। यह एक अनूठा दस्तावेज है, जो भारत की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप होने के साथ-साथ दुनिया भर के विभिन्न संविधानों से प्रेरणा लेता है। इसकी मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
सबसे लंबा लिखित संविधान: यह दुनिया के किसी भी संप्रभु देश का सबसे लंबा लिखित संविधान है, जिसमें मूल रूप से 395 अनुच्छेद, 22 भाग और 8 अनुसूचियां थीं, जो विभिन्न संशोधनों के कारण अब 448 अनुच्छेदों, 25 भागों और 12 अनुसूचियों तक विस्तारित हो गई हैं।
कठोरता और लचीलेपन का मिश्रण: यह न तो पूरी तरह से कठोर है और न ही पूरी तरह से लचीला। कुछ प्रावधानों को संसद में साधारण बहुमत से संशोधित किया जा सकता है, कुछ को विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है, और कुछ को विशेष बहुमत के साथ-साथ आधे राज्य विधानमंडलों के अनुसमर्थन की आवश्यकता होती है।
संसदीय शासन प्रणाली: भारत ने ब्रिटिश संसदीय प्रणाली को अपनाया है, जहाँ राष्ट्रपति नाममात्र का प्रमुख (वास्तविक कार्यकारी) होता है, और प्रधान मंत्री और मंत्रिपरिषद (वास्तविक कार्यकारी) लोकसभा के प्रति जवाबदेह होते हैं।
एकात्मक झुकाव वाला संघीय प्रणाली: जबकि यह केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों के विभाजन (संघ सूची, राज्य सूची, समवर्ती सूची) के साथ एक संघीय ढांचा स्थापित करता है, इसमें आपातकाल के दौरान मजबूत एकात्मक विशेषताएं होती हैं, जैसे एक मजबूत केंद्र, एकल नागरिकता, एकीकृत न्यायपालिका और आपातकालीन प्रावधान।
मौलिक अधिकार: भाग III सभी नागरिकों को छह मौलिक अधिकारों का एक समूह गारंटी देता है, जिसमें समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के खिलाफ अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार, सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार, और संवैधानिक उपचारों का अधिकार शामिल है। ये अधिकार न्यायोचित हैं।
राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत (DPSP): भाग IV में राज्य के लिए सामाजिक और आर्थिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए गैर-न्यायसंगत दिशानिर्देश शामिल हैं, जिसका उद्देश्य एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है। ये सिद्धांत, हालांकि अदालतों द्वारा लागू करने योग्य नहीं हैं, देश के शासन में मौलिक हैं।
मौलिक कर्तव्य: 42वें संशोधन अधिनियम (1976) द्वारा (भाग IVA) में जोड़े गए, ये नागरिकों के लिए 11 कर्तव्यों का एक समूह हैं, जो राष्ट्र के प्रति उनकी नागरिक और नैतिक जिम्मेदारियों पर जोर देते हैं।
धर्मनिरपेक्ष राज्य: प्रस्तावना भारत को एक "धर्मनिरपेक्ष" राष्ट्र घोषित करती है, जिसका अर्थ है कि कोई आधिकारिक राज्य धर्म नहीं है, और राज्य सभी धर्मों को समान रूप से मानता है, विवेक की स्वतंत्रता और किसी भी धर्म का अभ्यास करने, profess करने और प्रचार करने के अधिकार की गारंटी देता है।
स्वतंत्र न्यायपालिका: न्यायपालिका कार्यपालिका और विधायिका से स्वतंत्र है, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय इसके शीर्ष पर है, जो संविधान और मौलिक अधिकारों के संरक्षक के रूप में कार्य करता है।
सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार: भारत का प्रत्येक नागरिक जो 18 वर्ष या उससे अधिक आयु का है, जाति, पंथ, धर्म, लिंग या शिक्षा की परवाह किए बिना, मतदान का अधिकार रखता है।
एकल नागरिकता: संविधान एकल नागरिकता का प्रावधान करता है, जिसका अर्थ है कि एक व्यक्ति भारत का नागरिक है न कि किसी विशेष राज्य का।
एकीकृत और स्वतंत्र न्यायपालिका: सर्वोच्च न्यायालय शीर्ष पर, इसके नीचे उच्च न्यायालयों और जिला और निचले स्तरों पर अधीनस्थ न्यायालयों के साथ एक एकल एकीकृत न्यायिक प्रणाली है।
ये विशेषताएँ सामूहिक रूप से भारतीय संविधान को एक व्यापक औ
र गतिशील दस्तावेज बनाती हैं, जिसे अपने नागरिकों के बीच न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
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